Sunday, September 27, 2009

खुद्दारी

समय ने जब भी अंधेरों से दोस्ती की है, 
जला के अपना ही घर हमने रौशनी की है |
सुबूत है मेरे घर में धुँए के ये धब्बे, 
अभी अभी यहाँ पे उजालों ने खुदकुशी की है ||
-गोपाल दास नीरज़

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