हजारों की भीड़ में अनजान हूँ मैं,
गौर से देखो, तुम्हारी ही तरह इंसान हूँ मैं,
मौजों की लहरें इस दिल में भी उठती हैं,
दोस्त मेरे, दिल का बड़ा कद्रदान हूँ मैं.
नाम-ओ-शोहरत किसी को भी मिल जाती है,
पर, शुकूँ दिल का सबको ही मिलता ही नहीं.
दिल की सुनने का जज्बा है जिस वीर में,
काँटों की राह चलने से डरता नहीं.
कारवाँ ज़िन्दगी का गुजर जायेगा
ज़माने के रंगों में रंगते हुए,
रंज-ओ-ग़म ये मगर फिर रहेगा सदा
ज़िन्दगी को कभी खुद से जी न सके.
-आशीष तिवारी
Tuesday, September 29, 2009
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बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteगुलमोहर का फूल
नाम-ओ-शोहरत किसी को भी मिल जाती है,
ReplyDeleteपर, शुकूँ दिल का सबको ही मिलता ही नहीं.
दिल की सुनने का जज्बा है जिस वीर में,
काँटों की राह चलने से डरता नहीं.
बहुत सुन्दर बधाई इस रचना के लिये
Zindagee kaa karvaan aapke saath chale ye dua hai!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shamabaagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है, आपके लेखन में प्रखरता की आकांक्षी हूँ .......
ReplyDeleteati uttam... aapki kavita mein mann ki vyatha aur akanksha , dono ka samavesh hai. isitarah aasha badha kadiyon ko buntein rayiye , humme apase yahi aasha hai.. charaiveti charaiveti ....
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